Friday 20 April 2018

for my beloved papa


जब भी लड़खड़ाता हूँ जिन्दगी की राह में,
आपका वो चलना सिखाना याद आता है,
जब भी कोई गलती करता हूँ,
आपका वो डॉट के समझाना याद आता है,
जब भी आते हैं मेरी आँखों मे आँसू,
आपका वो गुदगुदा के हंसाना याद आता है,
जब भी पाता हूँ कोई मक़ाम ज़िन्दगी में,
आपका वो पीठ पर हाथ फिराना याद आता है,
मेरी परेशानी के पलों में ,
आपका वो मेरे सर पर हाथ याद आता है ,
छोटी उंगलियों से थामा वो हाथ याद आता है ,
चाहता हूँ ज़िन्दगी में हर पल साथ आपका,
हर एहसास मेरा आपके साथ चाहता हूँ,
मेरे सर पर सदा आपका हाथ चाहता हूँ।


                                                                                                                 ----- VAIBHAV SHAKYA


Friday 12 January 2018

First Patriotic Poem(Hindi)


मैं इंतज़ार कर रहा हूँ

मैं इंतज़ार कर रहा हूँ,
संसद के उस सदन का,
काम हो जिसमें कुछ वतन का,
मैं इंतज़ार कर रहा हूँ
खत्म होने का,
आतंकवाद ये जात पात का,
मैं इंतज़ार कर रहा हूँ
उस सोने की चिड़िया का
जो गाती थी गीत हर डाल पर ,
एकता का, विश्वास का
 भाईचारे का,
मैं इंतज़ार कर रहा हूँ,
गांधी की उस लाठी का 
जिसने स्वाद चखाया था,
अंग्रेजों को हिंदुस्तानी माटी का,
मैं इंतज़ार कर रहा हूँ,
लाल की उस दहाड़ का,
बाल की गर्जना का,
और पाल की ललकार का,
मैं इंतज़ार कर रहा हूँ
उस मंदिर का मज़ार का,
जहाँ पाठ हो साथ साथ,
गीता और कुरान का,
मैं इंतज़ार कर रहा हूँ,
उस विद्यालय का,
जहाँ निर्माण हो एक सच्चे इंसान का,
जहाँ ज्ञान हो ,
इन्सानियत का,
सम्मान का,
और देश के निर्माण का,
मैं इंतज़ार कर रहा हूँ,
उस मयखाने का,
जहाँ पान हो देशभक्ति का,
मैं इंतज़ार कर रहा हूँ,
देश की आज़ादी का,
धर्मों के जाल से,
नेताओं की चाल से ,
और भ्रष्टाचार के काल से,
और इंतज़ार है मुझे,
उस संविधान का,
जिसमें सम्मान हो ,
न्याय का ,हर इंसान का,
और एक नया चित्र बने संसार में,
मेरे भारत देश महान का ।





Saturday 6 January 2018

To Beloved (a poem in hindi)



मुझे तुमसे कुछ कहना है,

कहने दे।

मुझे तेरे नसीले होठो पर दो लफ्ज़ लिखने हैं,

मुझे लिखने दे।

मैं तुझे खवाबों में देखना चाहता हुँ,

मुझे वो राते दे।

मैं तुझे खुद में देखना चाहता हूँ,

मुझे वो आईना दे।

मैं तुझे अपना चाँद बनाना चाहता हूँ,

मुझे वो आसमाँ दे।

मैं अपने मकान को घर बनाना चाहता हुँ ,

मुझे अपना साथ दे।

मैं तुझमे खोना चाहता हूँ,

मुझे वो शहर दे।

अब मेरी कलम से बस तेरा नाम ही निकले ,

मुझे वो स्याही दे।

मुझे इश्क़ है तुमसे बस इतना कहने दे,

मुझे तुझमे और खुद को मुझमें रहने दे ।

दुआ है मेरी ख़ुदा से कि,

इश्क़ मेरा कामिल हो जिसमे ,

बस तुम और मैं शामिल हों।

Sunday 24 December 2017

Poem For Parents(in hindi)



माता पिता के चरणों मे 
ज़न्नत का अहसास होता है,
क्या इससे बड़ा भी कोई देव निवास होता है।
ईश्वर भी जिस मिट्टी से बने हैं,
वह उनके चरणों की धूल है ।
उनके चरणों में
 वो ताकत होती है,
जो किसी को भी ज़न्नत दिखा सकती है ।
उनमे दिखता है,रब मेरा,
हँसना रोना ,जीना मरना ,
खाना पीना सब मेरा,
देखता हूँ चेहरा उनका जब भी तस्वीर में 
चाहता हूँ मुस्कुराहट सदा उनके तकदीर में